1. जब इरादों में हो दम, तो मंज़िल मिल ही जाती है। मुसलसल कोशिशें ना हो कम, तो मंज़िल मिल ही जाती है। खलिश हो दिल में जब हरदम, तो मंज़िल मिल ही जाती है। जब ख्वाबों से हो आंखें नम, तो मंज़िल मिल ही जाती है। साथ हो कोई हमनवा हमदम, तो मंज़िल मिल ही जाती है। जब ना पीछे हटें कदम, तो मंज़िल मिल ही जाती है।
2. पत्थरों पर उकेरे जो ऐसे विचित्र चित्र पाषाण को बनाए हुए अपना घनिष्ट मित्र सुगंधी उसकी फैले चहुं दिशाओं में इसके सामने फीके है सभी इत्र।
Very nicely described the work of Nehal as well as God gifted artistic creativity of Har